Draupadi Murmu: कभी बच्चों को पढ़ाती थीं द्रौपदी मुर्मू, जानें कैसे बनी देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति

हेल्लो दोस्तों आज हम जानेगे Draupadi murmu biography in hindi में ड्रौपदी मुरमू एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपने परिश्रम, समर्पण और साहस से साबित किया कि जीवन की किसी भी मुश्किल मोड़ पर हार नहीं माननी चाहिए। उनका जीवन एक प्रेरणा स्रोत है जो हमें दिखाता है कि संघर्षों से नहीं, बल्कि संघर्षों में अपने लक्ष्यों को हासिल करने का तरीका कैसे ढूंढना चाहिए।

Draupadi Murmu Biography in Hindi( द्रौपदी मुर्मू की जीवनी हिंदी में)

Draupadi murmu biography in hindi

 

द्रौपदी मुर्मू की शुरुआती जीवन

ड्रौपदी मुरमू का जन्म झारखंड राज्य के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बिता, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई की महत्वपूर्णता समझाई।

Draupadi murmu biography in hindi( द्रौपदी मुर्मू की जीवनी)

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था, उनका जन्म एक आदिवासी परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। उनके पिता गांव और समाज के मुखिया रहे, और वे अपनी परंपराओं के मानने वाले थे।

सपना: एक शिक्षिका बनने का

बचपन से ही ड्रौपदी ने एक शिक्षिका बनने का सपना देखा था। उन्होंने कई संघर्षों का सामना किया, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने के लिए प्रतिबद्ध रहा।

द्रौपदी मुर्मू कीसंघर्षों भरा पाठ

ड्रौपदी का जीवन प्रेरणादायक है, क्योंकि उन्होंने जीवन के सभी माध्यमों का सही तरीके से उपयोग किया। वे जानती थीं कि शिक्षा ही उनका मार्गदर्शन करेगी और वे इसी माध्यम से अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकती हैं।

अध्यापन का करियर Draupadi murmu biography in hindi

उनके संघर्षों और मेहनत के बाद, ड्रौपदी ने एक उच्चतर शिक्षा के साथ शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। उनका यह कदम उनकी सफलता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर Draupadi murmu biography in hindi

उन्होंने अपने सियासी पथ की प्रारंभिक यात्रा ओडिशा से की, जब वे भाजपा के संग जुड़ीं। उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में भाग लिया और विजय प्राप्त की।

उन्हें भाजपा ने पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया। इसके बाद, 2000 से 2002 तक, उन्होंने ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल के साथ गठित सरकार में वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री के रूप में सेवा की।

2002 से 2004 तक, उन्होंने मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास के क्षेत्र में राज्य मंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायिका चुनाव भी जीता। इसके बाद, साल 2015 से 2021 तक, उन्हें झारखंड की राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जिन्हें राज्य की पहली महिला गवर्नर के रूप में सम्मानित किया गया।

सामाजिक सुधार कार्य

ड्रौपदी के लिए सफलता केवल व्यक्तिगत ही नहीं थी, बल्कि उन्होंने समाज के लिए भी योगदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने सामाजिक सुधार के कई कार्यों में हिस्सा लिया और गरीबों के लिए शिक्षा के अवसर सुनिश्चित किए।

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ड्रौपदी मुरमू की उपलब्धियों और संघर्षों से भरपूर कहानी हमें यह सिखाती है कि सही मार्गदर्शन, समर्पण और साहस के साथ हम किसी भी मुश्किलात का समाधान निकाल सकते हैं। उनकी इस प्रेरणास्तोत्र को देखते हुए हमें आत्म-निर्भरता और समर्पण की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है।

FAQ

द्रौपदी मुर्मू कौन है जीवन परिचय?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था, उनका जन्म एक आदिवासी परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। उनके पिता गांव और समाज के मुखिया रहे, और वे अपनी परंपराओं के मानने वाले थे।

द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने से पहले क्या थी?

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होने से पहले, वह झारखंड की राज्यपाल और ओडिसा सरकार में मंत्री थी।


राष्ट्रपति मुर्मू की उम्र कितनी है?

65 वर्ष (20 जून 1958)

 ड्रौपदी मुरमू का जन्म कहाँ हुआ था?

ड्रौपदी मुरमू का जन्म झारखंड राज्य के एक गांव में हुआ था।

 उनका सपना क्या था?

ड्रौपदी का सपना एक शिक्षिका बनने का था।

किस क्षेत्र में उन्होंने काम किया?

उन्होंने उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के रूप में काम किया।

 क्या उन्होंने सामाजिक सुधार के काम किए?

हां, उन्होंने सामाजिक सुधार के कई कार्यों में हिस्सा लिया और गरीबों के लिए शिक्षा के अवसर सुनिश्चित किए।

ड्रौपदी मुरमू की कहानी से हमें क्या सिखने को मिलता है?

ड्रौपदी मुरमू की कहानी से हमें सही मार्गदर्शन, समर्पण और साहस की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है।